Saturday, July 22, 2023

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत ऋणी व गैर ऋणी कृषकों को फसल बीमा करवाने की अंतिम तारीख 31 जुलाई

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत खरीफ-2023 हेतु अधिसूचना जारी

योजनान्तर्गत ऋणी व गैर ऋणी कृषकों को फसल बीमा करवाने की अंतिम तारीख 31 जुलाई

श्रीगंगानगर, 22 जुलाई। प्रधानमंत्री फसल बीमा Pardhan Mantri Fasal Bima Yojna (PMFBY) योजनान्तर्गत खरीफ-2023 हेतु अधिसूचना जारी की गयी है। इसके अनुसार जिला श्रीगंगानगर Sri Ganganagar में योजना के क्रियान्वन हेतु क्षेमा जनरल इंष्योरेंस लि बीमा कम्पनी General Insurance Ltd Co को अधिकृत किया गया है। 


संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) डॉ. जीआर मटोरिया GR Matoria  ने बताया कि जिले में खरीफ फसलों के अन्तर्गत Cotton कपास, Gwar ग्वार, Paddy धान, Moong मूंग, मूंगफली, बाजरा bajra, मोठ व तिल को बीमा करवाने के लिए अधिसूचित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इस योजनान्तर्गत फसली ऋण लेने वाले कृषक Farmers जिनकी फसल ऋण की सीमा को स्वीकृत किया गया हो अथवा ऋण वितरित किया गया हो, के कृषक फसल बीमा हेतु पात्र होंगे। ऋणी कृषकों हेतु यह योजना पूर्णतः स्वेच्छिक है, किन्तु ऋणी कृषक इस योजना से पृथक रहने के लिए नामांकन की अंतिम दिनांक 24 जुलाई तक अपने संबंधित बैंक में घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा अन्यथा उनको योजना में सम्मिलित माना जावेगा। 

उन्होंने बताया कि संबंधित बैंक फसल बीमा की कटौती करने से पूर्व कृषक से इस आशय का प्रमाण-पत्र लेना सुनिश्चित करेंगे कि उसने बोई गई फसल का अन्य किसी बैंक से फसल बीमा नहीं करवाया है तथा ऋणी कृषकों द्वारा बीमित फसल में परिवर्तन की सूचना संबंधित बैंक को देने की अंतिम तिथि 29 जुलाई 2023 निर्धारित की गई है। गैर ऋणी कृषक एवं बंटाईदार कृषक स्वैच्छिक आधार पर भू स्वामित्व के साक्ष्य, भू-स्वामित्व प्रमाण-पत्र, बैंक खाता संबंधी साक्ष्य, आधार कार्ड की प्रति, अपना खाता पोर्टल से डाउनलोड की गई स्वयं प्रमाणित जमाबंदी, स्वप्रमाणित फसल बुवाई घोषणा-पत्र, बंटाईदार कृषक का शपथ-पत्र, बंटाईदार कृषक का राजस्थान का मूल निवास प्रमाण-पत्र, बंटाईदार कृषक के स्वयं द्वारा सत्यापित आधार कार्ड की प्रति इत्यादि दस्तावेजों से गैर ऋणी कृषक के रूप में फसल बीमा करवाया जा सकता है।  

उन्होंने बताया कि ऋणी कृषकों का प्रीमियम उनके ऋण खातों से वसूल किया जायेगा। गैर ऋणी व बटाईदार कृषक अपनी फसलों का बीमा स्वैच्छिक आधार पर निकट के केन्द्रीय सहकारी बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/वाणिज्यिक बैंक की शाखाओं एवं सी.एस.सी. के माध्यम से करवा सकेगें। इसके अतिरिक्त गैर ऋणी कृषक बीमा कम्पनी के अधिकृत बीमा एजेन्ट/मध्यस्थी, प्राधिकृत प्रतिनिधि अथवा राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एन.सी.आई.पी) National Crop Insurance Portal (NCIP) द्वारा भी फसल बीमा करवा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि खरीफ 2023 हेतु कपास, मूंग व ग्वार फसलों का बीमा जिले की सभी तहसीलों के कृषकों द्वारा करवाया जा सकता है। धान फसल का बीमा अनूपगढ, सूरतगढ व विजयनगर तहसीलों, बाजरा फसल का बीमा रायसिंहनगर व सूरतगढ तहसीलों, तथा मूंगफली, मोठ व तिल फसलों का बीमा सूरतगढ तहसील के कृषकों के द्वारा करवाया जा सकता है। खरीफ 2023 हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्गर्त जिला श्रीगंगानगर में अधिसूचित फसलों की प्रति हैक्टेयर कपास हेतु 40925 रूपये, मूंग हेतु 42996 रूपये, मूंगफली हेेतु 120700 रूपये, ग्वार हेतु 36978 रूपये, मोठ हेतु 20643 रूपये, धान हेतु 75676 रूपये, बाजरा हेतु 35374 रूपये व तिल हेतु 28899 रूपये बीमित राशि निर्धारित की गई है। कपास फसल हेतु कृषक हिस्सा राशि 5 प्रतिशत व अन्य फसलों हेतु 2 प्रतिशत कृषक हिस्सा राशि कृषकों से ली जायेगी। अन्य राशि राज्य व केन्द्र सरकार बराबर-बराबर अनुपात में वहन करेंगे।

उन्होंने बताया कि बीमित कृषकों को खडी फसल (बुवाई से कटाई) में सूखा, लम्बी सूखा अवधि, बाढ़, जल प्लावन, कीट एवं व्याधि, प्राकृतिक आग एवं बिजली का गिरना, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात से होने वाले उपज में नुकसान के लिए व्यापक जोखिम बीमा राज्य सरकार द्वारा सम्पादित फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त उपज आकंडों के आधार पर देय होगा। फसल कटाई उपरान्त सूखने के लिए खेत में काट कर फैला कर छोडी गयी फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, असामयिक वर्षा तथा ओलावृष्टि से व्यक्तिगत आधार पर हुये नुकसान के लिए कटाई उपरान्त अधिकतम दो सप्ताह (14 दिन) की अवधि के लिए बीमा आवरण उपलब्ध होगा। 

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार प्रभावित कृषक को 72 घंटे के अन्दर सीधे श्रीगंगानगर जिले में फसल बीमा हेतु अधिकृत बीमा कम्पनी क्षेमा जनरल इन्शोयरेन्स लि. के टोल फ्री न. 1800-572-3013 पर, क्रोप इंश्योरेंस ऐप, किसान सुविधा ऐप के माध्यम से स्वयं के एंड्रोईड मोबाईल अथवा ई-मित्र पर जाकर तथा लिखित में अधिकतम 7 दिवस में अपने बैंक के माध्यम से अथवा कृषि विभाग के अधिकारियो/कार्मिकों के माध्यम से सूचित करना आवश्यक है। 

Friday, July 21, 2023

फसल बीमा योजना:8 राज्यों के 5.60 लाख किसानों को 258 करोड़ रु. क्लेम जारी

 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ऐप व पोर्टल लांच, मैनुअल का विमोचन

केंद्र की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसानों को और अधिक सुविधा देते हुए सटीक उपज अनुमान एवं पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज तीन महत्वपूर्ण पहलोंयेस्टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली), विंड्स (मौसम सूचना डेटा सूचना प्रणाली) और एआईडीई (मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप) को किसानों को समर्पित किया। कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू विशेष रूप से उपस्थित थे। इस मौके पर केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय के तहत, राज्यांश लंबित होने से किसानों को क्लेम मिलने में होने वाली कठिनाइयों से राहत प्रदान करते हुए 8 राज्यों के लगभग 5.60 लाख लाभार्थी किसानों को अपने स्तर पर 258 करोड़ रुबतौर क्लेम जारी किए। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा व आंध्र प्रदेश के किसान शामिल हैं।

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि का जीवन व देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि के समक्ष कितनी भी अनुकूलता होइसके बाद भी कृषक को प्रकृति पर निर्भर करना पड़ता है और प्रकृति नाराज हो जाएं तो किसान अपने श्रम से इसकी भरपाई नहीं कर पाता है  इसलिए यह जरूरी समझा गया कि प्राकृतिक प्रकोप से होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था होनी चाहिएइसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करते व इसे किसान हितैषी बनाते हुए इसके जरिये किसानों के नुकसान की भरपाई की जा रही है। भारत सरकार कृषि विकास के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए बजट में कमी नहीं आती है लेकिन कभी राज्य सरकारों के हिस्से का प्रीमियम जमा नहीं होता है तो ऐसे में किसानों को दिक्कत नहीं होने देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समय पर जमा कराई जाने वाली अपनी प्रीमियम के पेटे ही किसानों को मुआवजा देने का केंद्र ने फैसला लिया हैफिर भले ही तब तक राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम जमा हो या नहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कामकाज संभालते ही गांव-गरीब-किसान तीनों पर फोकस किया और अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयत्न किया गया है कि गांवों के जीवन में बदलाव आएंगरीबों का जीवन बदलें और किसान समृद्ध हों। इस दिशा में कृषि मंत्रालय के जरिये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी अनेक योजनाओं का सृजन किया गया। कृषि क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग पर बल दिया गया। अच्छे खाद-बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की गई। कृषि के बजट को देखें तो 2013 की तुलना में लगभग पांच गुना की वृद्धि की गई। इनका सद्परिणाम भी दिख रहा है। हम खाद्यान्नबागवानीदुग्ध उत्पादन में दुनिया में अच्छी अवस्था में हैं। इसमें तकनीक एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

 

श्री तोमर ने कहा कि आज तकनीक का उपयोग करके हर किसान तक हर योजना की पहुंच हो सकती है व आम किसान लाभ ले सकते है इसलिए कृषि मंत्रालय ने बहुतेरे काम करते हुए इंश्योरेंस मॉड्यूल भी बनाएंराज्य सरकारों को जोड़ा गया व फसल बीमा योजना को और कारगर बनाने की दृष्टि से मैनुअलपोर्टल व ऐप आज लांच किया गया है। हम सोचते थे कि मौसम की सही सूचना क्यों नहीं आ पाती हैअगर सूचना मिल भी जाएं तो नीचे तक पहुंचाने का साधन नहीं होता था इसलिए कोशिश की गई कि तकनीक का प्रयोग करके इसकी पहुंच गांव-गांव तक बनाई जाएं। हर गांव में रेन वॉच टॉवर होविकासखंड स्तर पर वेदर स्टेशन आ सकें ताकि मौसम की जानकारी विभाग व सरकार को मिल सकें। जलवायु परिवर्तन के दौर में यह जरूरी भी है। इसी तरह यह भी सुनिश्चित हुआ है कि एक व्यक्ति इंश्योरेंस के लिए मोबाइल के माध्यम से गांव-गांव व घर-घर जा सकता है। आज प्रारंभ की गई ये सुविधाएं सिर्फ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ही नहींबल्कि कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। आने वाले कल में भी ऐसे ही नवाचार होते रहेनई पीढ़ी कृषि क्षेत्र की तरफ आकर्षित होकृषि का क्षेत्र रोजगार के अवसरों का बड़ा स्रोत बनेंइस दिशा में और नवाचार करने की जरूरत है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री रिजिजू ने कहा कि किसानों के जीवन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की इन सुविधाओं से बहुत बड़ा बदलाव आएगा।  हरित क्रांति के बादपिछले नौ साल में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में अद्भुत काम हुआ है और हम एक लीडिंग नेशन के रूप में उभरे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जा रहे परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन के दौर में इन सबकी महत्ता और भी ज्यादा है। भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर हमें साइंटिफिक मैकेनिज्म तैयार करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर उनका मंत्रालय जलवायु परिवर्तन से उपजने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए बेहतर कार्य कर सकेगा। श्री रिजिजू ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक बहुत अच्छा काम कर रहे हैंदेश में सभी क्षेत्रों में उनके अनुसंधान की शत-प्रतिशत उपयोगिता कैसे होयह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज अहूजामौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डामृत्युंजय महापात्र  पीएमएफबीवाई के सीईओ तथा कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रितेश चौहान ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के निदेशक डासी.एसमूर्ति तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालयपृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एवं बीमा कंपनियों के अधिकारी और अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।

नवाचारों से लाभ- येस्टेकउन्नत तकनीकी प्रणाली है जो सटीक उपज गणना में राज्यों की मदद करेगी। राज्यों में फसल उपज विवादों व उसके बाद पात्र किसानों को मुआवजा देने में होने वाली देरी से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए केंद्र ने इस प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया है। येस्टेक प्रणाली के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिये सटीक फसल अनुमान लगानेपारदर्शी-सटीक उपज आकलन सुनिश्चित करने पर काम किया जाना है। यह प्रणाली उपज संबंधी विवाद प्रभावी रूप से हल करने व त्वरित दावा भुगतान सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगी। विंड्स के माध्यम से किसानों के लिए मौसम संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी व आंकड़े उपलब्ध हो पाएंगे। इससे योजना के सभी हितधारकों को लाभ होगाविशेषतः किसान सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे। अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से सटीक मौसम संबंधी डेटा प्राप्त करने संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विंड्स पहल अंतर्गत मौसम केंद्रों के सशक्त नेटवर्क की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है। इस पहल द्वारा लक्ष्य ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम केंद्रों का व्यापक नेटवर्क स्थापित करना है। यह रणनीतिक दृष्टिकोण सटीक व समय पर मौसम डेटा तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करेगा। लक्ष्यमौसम की जानकारी की उपलब्धता में अंतर कम करना व जमीनी स्तर पर निर्णयकर्ताओंकिसानों व हितधारकों को सशक्त बनाना है।  

मौसम केंद्रों का यह व्यापक नेटवर्क मौसम के पैटर्न की सटीक निगरानी करनेप्रभावी योजना बनानेजोखिम मूल्यांकन व मौसम संबंधी चुनौतियों का समय पर जवाब देने में सक्षम बनाएगा। एआईडीई ऐप से किसानों की नामांकन प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगाजिससे किसान घर बैठे या खेत से भीबीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के जरिये पंजीकरण आसानी से पूरा कर सकेंगे। लंबी कतारोंकागजी कार्रवाई खत्म करकेयह निर्णय सभी किसानों के लिए नामांकन को सुलभ बनाता हैजिससे सुनिश्चित होता है कि वे आसानी से बीमा कवरेज प्राप्त कर सकें। उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए अनुरूप कवरेज विकल्प प्रदान करता है। ये पहल किसानों को समर्थन देने व किसानों की आजीविका प्रभावी ढंग से सुरक्षित करने के लिए बीमा नामांकन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित करती है। इन सभी पहलों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनके घर पर फसल बीमा लेनेपॉलिसी विवरण प्राप्त करने की सुविधा मिलेंकिसान मोबाइल ऐप से ही फसल नुकसान की सूचना दे सकेंउपज-दावा आंकलन की प्रक्रिया सटीक-पारदर्शी हों व किसान को समय पर क्लेम पेमेंट मिलें।

ਕਿਨੂੰ ਦੀ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਯੂਨਿਟ ਲਗਾਉਣ ਦੇ ਚਾਹਵਨਾਂ ਲਈ ਜਰੂਰੀ ਸੂਚਨਾ। ਸਰਕਾਰ ਕਰੂ ਮਦਦ। ਵਿਸਥਾਰ ਲਈ ਪੜੋ ਇਹ ਜਾਣਕਾਰੀ।

ਕਿਨੂੰ Kinnow ਪੰਜਾਬ Punjab ਰਾਜ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਫਲ ਹੈ। ਇਹ ਨਿੰਬੂ ਜਾਤੀ ਦੀਆਂ ਦੋ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ ਹਾਈਬ੍ਰਿਡ ਹੈ -


'ਕਿੰਗ' (ਸਿਟਰਸ ਨੋਬਿਲਿਸ) × 'ਵਿਲੋ ਲੀਫ' (ਸਿਟਰਸ × ਡੇਲੀਸੀਓਸਾ)। ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ Fazilka ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦਾ ਜਲਵਾਯੂ ਖੁਸ਼ਕ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਹੀ ਗਰਮ ਗਰਮੀਆਂ ਵਾਲਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਵਾਲੇ ਕਿੰਨੂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਲਈ ਬਹੁਤ ਢੁਕਵਾਂ ਹੈ, ਇਸ ਕਾਰਣ ਕਰਕੇ ਇਸ ਫੱਲ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਵਨ ਡਿਸਟ੍ਰਿਕ ਵਨ ਪਰੋਡਕਟ (ਓ.ਡੀ.ਓ.ਪੀ.) One District One Product (ODOP) Scheme ਸਕੀਮ ਤੇ ਤਹਿਤ ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦਾ ਓ.ਡੀ.ਓ.ਪੀ. ਚੁਨਿਆ ਹੈ। ਕਿਨੂੰ ਦਾ ਫੱਲ ਜਨਵਰੀ ਜਾਂ ਫਰਵਰੀ ਵਿੱਚ ਪੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਛਿੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਜੂਸ Juice ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਕੋਈ ਕਿੰਨੂ ਨੂੰ ਦੇਸੀ ਸੰਤਰੇ ਦੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਚਚੇਰੇ ਭਰਾ ਵਜੋਂ ਸੋਚ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਜੀਵ-ਵਿਗਿਆਨਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਬਹੁਤ ਵੱਖਰੇ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਕਿ ਇੱਕ ਸੰਤਰਾ ਸਿਟਰਸ ਜਾਲੀਦਾਰ ਅਤੇ ਨਿੰਬੂ ਜਾਲੀ ਦਾ ਇੱਕ ਹਾਈਬ੍ਰਿਡ ਹੈ, ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਕਿੰਨੂ ਸਿਟਰਸ ਡੇਲੀਸੀਓਸਾ ਅਤੇ ਸਿਟਰਸ ਨੋਬਿਲਿਸ ਦਾ ਇੱਕ ਹਾਈਬ੍ਰਿਡ ਹੈ। 'ਕਿੰਨੂ' ਫਲਾਂ ਨੂੰ ਵਪਾਰਕ ਮੋਮ ਨਾਲ ਕੋਟਿੰਗ Waxing  ਕਰਨ ਨਾਲ ਸ਼ੈਲਫ ਲਾਈਫ Self Life 60 ਦਿਨਾਂ ਤੱਕ ਵਧ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਫਲਾਂ ਨੂੰ 4-5 ਡਿਗਰੀ ਸੈਲਸੀਅਸ ਤਾਪਮਾਨ ਅਤੇ 85-90% ਦੀ ਅਨੁਸਾਰੀ ਨਮੀ 'ਤੇ ਕੋਲਡ ਸਟੋਰੇਜ ਵਿੱਚ ਸਟੋਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਕਿੰਨੂ ਫਲ ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ, ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਤਾਂਬਾ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਸੀ, ਫਾਈਬਰ ਅਤੇ ਅਸਥਿਰ ਮਿਸ਼ਰਣਾਂ ਵਰਗੇ ਖਾਸ ਖਣਿਜਾਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਬਾਇਓ-ਐਕਟਿਵ Bio Active ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਅਮੀਰ ਸਰੋਤ ਹੈ। ਹਾਲ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਐਗਰੋ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ ਲਿਮਿਟਡ Punjab Agro Corporation Ltd , ਜੋ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਇਕ ਸਰਕਾਰੀ ਅਦਾਰਾ ਹੈ, ਨੇ ਇਕ ਵੱਡੀ ਕਾਮਯਾਬੀ ਹਾਸਲ ਕਰਦਿਆਂ ਹੋਇਆਂ, ਕਿਨੂੰ ਫੱਲ ਦੀ ਨਿਮਨ ਕੁਆਲਿਟੀ ਜੋ ਹੁਣ ਤੱਕ ਕਿਸਾਨ ਭਾਈਆਂ ਦੀ ਖਰਾਬ ਜਾਂਦੀ ਸੀ, ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਕੇ ਪੇਯ ਪਦਾਰਥ ਜਿਨ੍ਹ ਬਨਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਡਿਮਾਂਡ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਵਨ ਡਿਸਟ੍ਰਿਕ ਵਨ ਪਰੋਡਕਟ ਸਕੀਮ ਵਿਚ ਹੋਣ ਕਾਰਣ ਇਸ ਫੱਲ ਦੀ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿਂਗ ਇੰਡਸਟਰੀ Fruit Processing Industry  ਲਗਾਉਣ ਵਾਲੇ ਉਦਯੋਗਪਤੀਆਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਇੰਡਸਟਰੀਅਲ ਪਾਲਿਸੀ Indusrial Policy of Punjab Government ਤਹਿਤ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰਾਂ ਦੇ ਇੰਨਸੈਂਟਿਵ ਵੀ ਦਿਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਜਿਹੜੇ ਉਦਯੋਗਪਤੀ ਇਸ ਫੱਲ ਦਾ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿਂਗ ਪਲਾਂਟ ਆਦਿ ਲਗਾਣ ਦੇ ਇਛੁਕ ਹਨ ਉਹ ਵਧੇਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਉਦਯੋਗ ਕੇਂਦਰ (ਕਮਰਾ ਨੰ. 205 ਸੀ, ਪਹਿਲੀ ਮੰਜੀਲ, ਡੀਸੀ ਕੰਪਲੈਕਸ) ਤੋਂ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ।


ਪਰਾਲੀ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਸਬੰਧੀ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਤੇ ਸਬਸਿਡੀ - ਬਿਨੈ ਪੱਤਰ ਦੀ ਅੰਤਮ ਮਿਤੀ 15 ਅਗਸਤ ਤੱਕ

ਸਬਸਿਡੀ ਲੈਣ ਦੇ ਚਾਹਵਾਨ ਕਿਸਾਨ ਆਨਲਾਈਨ ਪੋਰਟਲ agrimachinerypb.com ਤੇ ਕਰ ਸਕਦੇ ਅਪਲਾਈ

ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ, 21 ਜੁਲਾਈ
ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਡਾ. ਸੇਨੂ ਦੁੱਗਲ DC Dr Senu Duggal ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਪਰਾਲੀ Stubble Burning ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਗਾਉਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਉਪਰਾਲੇ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਰਾਲੀ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਇਸ ਦੀ ਸਾਂਭ ਸੰਭਾਲ Stubble Management ਸਬੰਧੀ ਸਮੇਂ+ਸਮੇਂ ਤੇ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਉਲੀਕੀਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਅਪੀਲ ਵੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਦਾ ਜਮੀਨ ਵਿਚ ਨਿਬੇੜਾ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ।

ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨ ਭਲਾਈ ਵਿਭਾਗ Agriculture and Farmer Welfare Department ਪੰਜਾਬ ਵੱਲੋਂ ਪਰਾਲੀ ਦੀ ਸਾਂਭ—ਸੰਭਾਲ ਸਬੰਧੀ ਮਸ਼ੀਨਾਂ *ਤੇ ਸਬਸਿਡੀ ਲਈ ਬਿਨੈ ਪੱਤਰ ਦੇਣ ਦੀ ਆਖਿਰੀ ਮਿਤੀ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਬਸਿਡੀ ਲੈਣ ਦੇ ਚਾਹਵਾਨ ਕਿਸਾਨ 15 ਅਗਸਤ 2023 ਤੱਕ ਸ਼ਾਮ 5 ਵਜੇ ਤੱਕ ਆਪਣੀ ਅਰਜੀਆਂ ਆਨਲਾਈਨ ਪੋਰਟਲ agrimachinerypb.com ਤੇ ਦੇ ਸਕਦੇ ਹਨ।
ਮੁੱਖ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਫਸਰ ਸ. ਗੁਰਮੀਤ ਸਿੰਘ ਚੀਮਾ Gurmeet Singh Cheema ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸੀ.ਆਰ.ਐਮ. ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ CRM Scheme ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਹਦਾਇਤਾਂ ਮੁਤਾਬਕ 5 ਲੱਖ ਦੀ ਲਾਗਤ ਦਾ ਸੀ.ਐਚ.ਸੀ. 15 ਲੱਖ ਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ 3000/4500 ਐਮ.ਟੀ. (ਪ੍ਰਤੀ ਸੀਜਨ) ਸਮਰੱਥਾ ਵਾਲੇ ਪੈਡੀ ਸਟਰਾਅ ਸਪਲਾਈ ਸੈਂਟਰ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ ਜਾਣਗੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੀ.ਐਚ.ਸੀ./ਪੈਡੀ ਸਟਰਾਅ ਸਪਲਾਈਨ ਚੇਨ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਚਾਹਵਾਨ ਉਦਮੀ ਕਿਸਾਨ ਗ੍ਰਾਮ ਪੰਚਾਇਤਾਂ/ ਸਹਿਕਾਰੀ ਸਭਾਵਾਂ/ਐਫ.ਪੀ.ਓ/ਆਰ.ਐਫ.ਸੀ. ਆਪਣੀਆਂ ਅਰਜੀਆਂ ਆਨਲਾਈਨ ਅਪਲਾਈ ਦੇ ਸਕਦੇ ਹਨ।
ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਵਧਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਈ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਵੈਬਸਾਈਟ ਜਾਂ ਮੁੱਖ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦਫਤਰ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕਿਸਾਨ ਕਾਲ ਸੈਂਟਰ Kisan Call Center ਦੇ ਟੋਲ ਫਰੀ ਨੰਬਰ 18001801551 ਤੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਸਬੰਧੀ ਸਲਾਹ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ।

Thursday, July 20, 2023

ਸਦਾਬਹਾਰ ਬੂਟਿਆਂ ਦਾ ਬਾਗ ਲਗਾਉਣ 'ਤੇ ਕੌਮੀ ਬਾਗਬਾਨੀ ਮਿਸ਼ਨ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ 40 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਸਬਸਿਡੀ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ

 ਸਦਾਬਹਾਰ ਫ਼ਲਦਾਰ ਬੂਟੇ ਲਗਾਉਣ ਦਾ ਚੱਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ਢੁੱਕਵਾਂ ਸਮਾਂ : ਡਿਪਟੀ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਬਾਗਬਾਨੀ

ਬਰਸਾਤਾਂ ਦੇ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਸਦਾਬਹਾਰ ਫਲਦਾਰ ਬੂਟੇ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਅਮਰੂਦ, ਅੰਬ, Mango ਕਿੰਨੂ, Kinnow  ਨਿੰਬੂ Lemon ਅਦਿ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਾਮਯਾਬੀ ਨਾਲ ਲਗਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। Deputy Commissioner  ਜਤਿੰਦਰ


ਜੋਰਵਾਲ ਦੇ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਦੇਸ਼ਾਂ ਹੇਠ ਇਹ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਡਿਪਟੀ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਬਾਗਬਾਨੀ sangrur
 ਡਾ. ਨਿਰਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸੰਗਰੂਰ ਵਿੱਚ Orchard ਬਾਗ ਲਗਾਉਣ ਲਈ ਮੁੱਖ ਤੌਰ 'ਤੇ ਅਮਰੂਦ ਢੁੱਕਵਾਂ ਹੈ ਅਤੇ ਜੇਕਰ ਮਿੱਟੀ ਤੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਟੈਸਟ ਰਿਪੋਰਟ ਨਿੰਬੂ ਜਾਤੀ ਮੁਤਾਬਿਕ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਕਿੰਨੂ ਦਾ ਬਾਗ ਵੀ ਇਸ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਕਾਮਯਾਬੀ ਨਾਲ ਲਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। 

ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਘਰੇਲੂ ਬਗੀਚੀ ਵਿੱਚ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਚੀਕੂ, ਲੀਚੀ, ਡਰੈਗਨ ਫਰੂਟ, ਮੌਸੰਮੀ, ਸੰਤਰਾਂ, ਪਪੀਤਾ, ਅੰਜੀਰ ਆਦਿ ਘਰੇਲੂ ਖਪਤ ਲਈ ਲਗਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਡਿਪਟੀ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਬਾਗਬਾਨੀ ਡਾ. ਨਿਰਵੰਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਬਾਗ ਲਗਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਬਾਗਬਾਨੀ ਵਿਭਾਗ ਦੇ ਬਲਾਕ ਜਾਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪੱਧਰ ਤੇ ਦਫਤਰ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਜ਼ਰੂਰ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਜੋ ਮਿੱਟੀ ਪਾਣੀ Soil and Water ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਬਾਗ ਦੀ ਚੋਣ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕੇ ਅਤੇ ਬਾਗ ਸਹੀ ਫਾਸਲੇ ਲਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ ਅਤੇ ਬੂਟਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਨਰਸਰੀ Plant Nursery ਤੋਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਬਾਗਬਾਨੀ ਵਿਭਾਗ ਦੀਆਂ ਸਰਕਾਰੀ ਨਰਸਰੀਆਂ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ Punjab Agriculture University


ਦੀਆਂ ਸਰਕਾਰੀ ਨਰਸਰੀਆਂ ਤੋਂ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਬੂਟਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਦਾਬਹਾਰ ਬੂਟਿਆਂ ਦਾ ਬਾਗ ਲਗਾਉਣ ਤੇ ਕੌਮੀ ਬਾਗਬਾਨੀ ਮਿਸ਼ਨ ਸਕੀਮ  National Horticulture Mission Scheme ਤਹਿਤ 40 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਸਬਸਿਡੀ Subsidy  ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਤਕਨੀਕੀ ਜਾਣਕਾਰੀ, ਲੇਅ ਆਊਟ ਲਈ ਮਿੱਟੀ,ਪਾਣੀ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਲਈ ਬਾਗਬਾਨੀ ਵਿਭਾਗ ਦੇ ਬਲਾਕ ਦੇ ਬਾਗਬਾਨੀ ਵਿਕਾਸ ਅਫਸਰ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਕੁਦਰਤੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਸੰਤੁਲਨ ਰੱਖਣ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਰੋਤਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਲਈ ਫਲਦਾਰ ਪੌਦੇ ਲਗਾਉਣ ਵੱਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਫਲਦਾਰ ਬੂਟਿਆਂ ਦਾ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਇਹ ਸੁਆਦਲੇ ਫਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਉਥੇ ਵਧੀਆ ਆਮਦਨ ਦਾ ਸਰੋਤ ਬਣਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਸ਼ੁੱਧ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅਹਿਮ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਖੁਰਾਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਫਲ ਮਨੁੱਖੀ ਸਿਹਤ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਪੌਸ਼ਟਿਕ ਮੰਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਤੰਦਰੁਸਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖੁਰਾਕੀ ਤੱਤ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਫਾਸਫੋਰਸ, ਲੋਹਾ, ਖਣਿਜ, ਵਿਟਾਮਿਨ, ਧਾਤਾਂ

ਆਦਿ। ਭਾਰਤੀ ਨਿਊਟ੍ਰੀਸ਼ਨ ਖੋਜ ਸੰਸਥਾ ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਨੇ ਵੀ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ  ਨੂੰ ਤੰਦਰੁਸਤ ਰਹਿਣ ਲਈ 100 ਗ੍ਰਾਮ ਫਲਾਂ ਦਾ ਸੇਵਨ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿਫਾਰਸ਼ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਫਲਾਂ ਦੀ ਖਪਤ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਫਲਾਂ ਦਾ ਭਰਪੂਰ ਉਤਪਾਦਨ ਤੇ ਸੇਵਨ ਕਰਨਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਆਬਾਦੀ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਕਾਰਨ ਫਲਾਂ ਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਵਧਾਉਣ ਦੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸੰਭਾਵਨਾਵਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹਨ।

28 ਜੁਲਾਈ ਨੂੰ ਆਉਣਗੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਖਾਤਿਆਂ ਵਿਚ ਪੈਸੇ, ਤਦ ਤੱਕ ਕਰ ਲਵੋ ਇਹ ਕੰਮ

ਝੋਨੇ/ਬਾਸਮਤੀ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਵਿੱਚ ਗੈਰ-ਸਿਫਾਰਸ਼ਸ਼ੁਦਾ ਖੇਤੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ : ਡਾ.ਅਮਰੀਕ ਸਿੰਘ

ਸਾਉਣੀ ਦੀਆਂ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਦੌਰਾਨ ਕਿਸੇ ਕਿਸਮ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਆਉਣ ਦੀ ਸੂਰਤ ਵਿੱਚ ਖੇਤੀ ਮਾਹਿਰਾਂ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਕਰਨ ਦੀ ਅਪੀਲ


ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ, - ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਡਾ. ਹਿਮਾਂਸ਼ੂ ਅਗਰਵਾਲ Himanshu Aggarwal ਦੇ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਦੇਸ਼ਾਂ ’ਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ Gurdaspur ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਮੁਕਤ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨ ਭਲਾਈ ਵਿਭਾਗ Agriculture ਵੱਲੋਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮੁਹਿੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਹਫ਼ਤੇ ਦੇ ਹਰ ਬੁੱਧਵਾਰ ਨੂੰ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਗਰੁਕਤਾ ਕੈਂਪ Farmer Camp ਲਗਾ ਕੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਝੋਨੇ ਦੀ ਪਰਾਲੀ ਸਾੜਣ ਨਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਨੁਕਸਾਨਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੁਕ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। 

ਇਸ ਮੌਕੇ ਡਾ. ਦਿਲਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਯੋਜਨਾ PM Kisan Samman Nidhi Yojna  ਬਾਰੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ 28 ਜੁਲਾਈ ਨੁੰ 14ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਉਨਾਂ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦੇ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਈ.ਕੇ.ਵਾਈ.ਸੀ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ। ਉਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜਿੰਨਾ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਈ.ਕੇ.ਵਾਈ.ਸੀ ਮੁਕੰਮਲ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ ਉਨਾਂ ਦੇ ਖਾਤਿਆਂ ਵਿੱਚ 14 ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਨਹੀਂ ਆਵੇਗੀ।

ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਤਹਿਤ ਬਲਾਕ ਕਾਹਨੂੰਵਾਨ ਦੇ ਪਿੰਡ ਠੀਕਰੀਵਾਲ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਿਸਾਨ ਜਾਗਰੁਕਤਾ ਕੈਂਪ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ ਜਿਸ ਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਡਾ. ਅਮਰੀਕ ਸਿੰਘ Amrik Singh ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਿਖ਼ਲਾਈ ਅਫ਼ਸਰ ਨੇ ਕੀਤੀ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਹੋਰਨਾ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਡਾ. ਦਿਲਬਾਗ ਸਿੰਘ ਭੱਟੀ ਬਲਾਕ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਫ਼ਸਰ, ਡਾ. ਦਿਲਰਾਜ ਸਿੰਘ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿਕਾਸ ਅਫ਼ਸਰ, ਕਮਲ ਇੰਦਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਜਵਾ ਬਲਾਕ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਪ੍ਰਬੰਧਕ (ਆਤਮਾ), ਅਮਨਦੀਪ ਕੌਰ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿਸਥਾਰ ਅਫ਼ਸਰ, ਅਗਾਂਹਵਧੂ ਕਿਸਾਨ ਸੁਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਕੱਲੂਸੋਹਲ ਸਮੇਤ ਸਮੂਹ ਸਟਾਫ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ।

ਡਾ. ਅਮਰੀਕ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਜ਼ਿਲਾ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਵਿੱਚ 854 ਪਰਾਲੀ Stubble Burning ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਦਰਜ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ। ਉਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਅੰਦਰ 55 ਅਜਿਹੇ ਪਿੰਡ ਹਨ, ਜਿੰਨਾਂ ਵਿੱਚ 5 ਤੋਂ 10 ਪਰਾਲੀ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਦਰਜ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ। ਉਨਾਂ ਦੱਸਿਆ ਇਨਾਂ 55 ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਅਕਤੂਬਰ ਮਹੀਨੇ ਤੱਕ ਹਰ ਬੁੱਧਵਾਰ ਨੂੰ ਕਿਸਾਨ ਜਾਗਰੁਕਤਾ ਕੈਂਪ ਲਗਾਏ ਜਾਣਗੇ ਤਾਂ ਜੋ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਮੁਕਤ ਜ਼ਿਲਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ। ਉਨਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਪਿੰਡ ਠੀਕਰੀਵਾਲ ਵਿੱਚ ਝੋਨੇ ਦੀ ਪਰਾਲੀ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਦੇ 3 ਵਾਕਿਆ ਦਰਜ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ। ਉਨਾਂ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਅਪੀਲ ਕੀਤੀ ਕਿ ਇਸ ਵਾਰ ਝੋਨੇ ਦੀ ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੋਈ ਕਿਸਾਨ ਪਰਾਲੀ ਨੂੰ ਅੱਗ ਨਾ ਲਗਾਵੇ ਤਾਂ ਜੋ ਪਿੰਡ ਠੀਕਰੀਵਾਲ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਮੁਕਤ ਪਿੰਡ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ।

ਡਾ. ਅਮਰੀਕ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਝੋਨੇ ਦੀ ਪਰਾਲੀ ਸਾੜਣ ਦੀ ਬਿਜਾਏ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਹੀ ਤਵੀਆਂ ਨਾਲ ਵਾਹ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਜਾਂ ਝੋਨੇ ਦੀ ਕਟਾਈ ਉਪਰੰਤ ਕਟਰ ਕਮ ਸ਼ਰੈਡਰ ਜਾਂ ਚੌਪਰ ਨਾਲ ਰਹਿੰਦ ਖੂੰਹਦ ਨੂੰ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕਸਾਰ ਖਿਲਾਰ ਕੇ ਪੀ.ਏ.ਯੂ. ਹੈਪੀ ਸੀਡਰ ਜਾਂ ਸੁਪਰ ਸੀਡਰ ਨਾਲ ਕਣਕ ਦੀ ਬਿਜਾਈ ਖੇਤ ਨੂੰ ਬਗੈਰ ਵਾਹੇ ਕਰ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਉਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕਣਕ ਦੀ ਬਿਜਾਈ ਲਈ ਮਲਚਿੰਗ ਤਕਨੀਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ। ਉਨਾਂ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਝੋਨੇ/ਬਾਸਮਤੀ ਦੀ ਫਸਲ ਵਿੱਚ ਗੈਰ-ਸਿਫਾਰਸ਼ਸ਼ੁਦਾ ਖੇਤੀ ਸਮੱਗਰੀ ਜਿਵੇਂ ਸਲਫਰ, ਦਾਣੇਦਾਰ ਕੀਟਨਾਸ਼ਕ ਆਦਿ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾ ਕਰਨ ਦੀ ਅਪੀਲ ਕੀਤੀ। Paddy Stubble Management 

ਡਾ. ਦਿਲਬਾਗ ਸਿੰਘ ਭੱਟੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਬਲਾਕ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦਫਤਰ ਕਾਹਨੂੰਵਾਨ ਕੋਲ ਦੋ ਸੁਪਰਸੀਡਰ Super Seeder  ਮੌਜੂਦ ਹਨ। ਉਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਕਿਸਾਨ ਆਪਣਾ ਟ੍ਰੈਕਟਰ ਲਿਆ ਇਨਾਂ ਸੁਪਸੀਡਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਵਾਪਸ ਦਫ਼ਤਰ ਵਿੱਚ ਦੇਣਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਉਨਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸੁਪਰਸੀਡਰਾਂ ਦਾ ਕਿਰਾਇਆ ਨਾ ਮਾਤਰ ਹੀ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਜੋ ਕਿਸੇ ਕਿਸਮ ਦੀ ਟੁੱਟ ਭੱਜ ਹੋਣ ਤੇ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰਵਾਈ ਜਾ ਸਕੇ। 

ਡਾ. ਦਿਲਰਾਜ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਯੋਜਨਾ ਬਾਰੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ 28 ਜੁਲਾਈ ਨੁੰ 14ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਉਨਾਂ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦੇ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਈ.ਕੇ.ਵਾਈ.ਸੀ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ। ਉਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜਿੰਨਾ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਈ.ਕੇ.ਵਾਈ.ਸੀ ਮੁਕੰਮਲ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ ਉਨਾਂ ਦੇ ਖਾਤਿਆਂ ਵਿੱਚ 14 ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਨਹੀਂ ਆਵੇਗੀ। ਬੀ.ਟੀ.ਐੱਮ ਕਮਲ ਇੰਦਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਾਜਵਾ ਨੇ ਆਤਮਾ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਦਿੱਤੀਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਸਹਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ। ਅਮਨਦੀਪ ਕੌਰ ਨੇ ਸਮੂਹ ਕਿਸਾਨਾਂ ਅਤੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ। 


ਹੜ੍ਹ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਿਸਾਨਾਂ ਲਈ ਕੇ.ਵੀ.ਕੇ ਖੇੜੀ ਵਿਖੇ 20 ਏਕੜ ਵਿੱਚ ਪੀਆਰ 126 ਤੇ ਬਾਸਮਤੀ 1509 ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਬੀਜਣ ਦੀ ਕਰਵਾਈ ਸ਼ੁਰੂਆਤ

ਜੇ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਯੁਨਿਟ ਲਗਾਉਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰਕਾਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਮੋਟੀ ਸਬਸਿਡੀ, ਪੂਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਵੋ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਦੇ ਡੀਸੀ ਤੋਂ

ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਯੂਨਿਟ ਲਗਾਉਣ ਲਈ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ 35 ਫੀਸਦੀ ਸਬਸਿਡੀ : ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ

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ਪੀ.ਐਮ. ਫਰਮਲਾਈਜੇਨ ਆਫ ਮਾਈਕਰੋ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਇੰਟਰਪ੍ਰਾਈਜਿਜ ਯੋਜਨਾ ਅਧੀਨ ਇੱਕ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਤੱਕ ਦੇ ਲਗਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ

ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ,  - ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ Government of India ਦੇ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਉਦਯੋਗ ਵੱਲੋਂ ਰਾਜ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਭਾਈਵਾਲੀ ਨਾਲ ਕੌਮੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਪੀ.ਐਮੀ ਫਰਮਲਾਈਜੇਨ ਆਫ ਮਾਈਕਰੋ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ Food Processing ਇੰਟਰਪ੍ਰਾਈਜਿਜ ਯੋਜਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ਜਿਸ ਤਹਿਤ ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਇੱਕ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਤੱਕ ਦਾ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ ਲਗਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। 


ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ Gurdaspur ਡਾ. ਹਿਮਾਂਸ਼ੂ ਅਗਰਵਾਲ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਸਕੀਮ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਐਗਰੋ ਇੰਡਸਟਰੀਜ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ Punjab Agro ਨੂੰ ਸਟੇਟ ਨੋਡਲ ਏਜੰਸੀ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਉਦਯੋਗ ਕੇਂਦਰ GM DIC ਦੇ ਜਨਰਲ ਮੈਨੇਜਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਨੋਡਲ ਅਫਸਰ ਹੋਣਗੇ। ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਡਾ. ਹਿਮਾਂਸ਼ੂ ਅਗਰਵਾਲ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਹ ਵੀ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਇੱਕ ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਤੱਕ ਦੇ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ ਲਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਥੇ ਕਿ ਘੱਟੋ ਘੱਟ 10 ਵਿਅਕਤੀ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹੋਣ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਹ ਵੀ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ 35 ਫੀਸਦੀ ਦੀ ਕੈਪੀਟਲ ਸਬਸਿਡੀ Capital Subsidy  ਵੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ 10 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਬਣਦੀ ਹੈ।

ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਡਾ. ਹਿਮਾਂਸ਼ੂ ਅਗਰਵਾਲ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਕੀਮ ਦਾ ਲਾਭ ਲੈਣ ਦੇ ਚਾਹਵਾਨ ਬਿਨੈਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ ਕੀਮਤ ਦਾ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ 10 ਫੀਸਦੀ ਹਿੱਸਾ ਆਪਣੇ ਕੋਲੋ ਲਗਾਉਣਾ ਪਵੇਗਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਹ ਵੀ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਸਕੀਮ ਤਹਿਤ ਨਵਾਂ ਯੁਨਿਟ ਸਥਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਪੁਰਾਣੇ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਯੂਨਿਟ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਵੀ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਕਤ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਬੈਂਕਾਂ ਤੋਂ ਫਰਮ ਲੋਨ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਯੁਨਿਟ ਹੀ ਸਬਸਿਡੀ ਦਾ ਲਾਭ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਬੇਰੋਜ਼ਗਾਰ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਅਪੀਲ ਕੀਤੀ ਕਿ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦਾ ਲਾਭ ਲੈ ਕੇ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਆਪਣੇ ਪੈਰ੍ਹਾਂ ਤੇ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਸਕਣ।

ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਉਦਯੋਗ ਕੇਂਦਰ ਦੇ ਜਨਰਲ ਮੈਨੇਜਰ ਸ. ਸੁਖਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਅਧੀਨ ਕਰਜ਼ਾ ਲੈਣ ਲਈ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ ਮੰਤਰਾਲੇ ਦੇ ਪੋਰਟਲ www.pmfme.mofpi.gov.in ਉੱਪਰ ਆਨ ਲਾਇਨ ਅਪਲਾਈ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਹੋਰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਫਾਰਮ ਭਰਨ ਵਾਸਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰਿਸੋਰਸ ਪਰਸਨ ਵੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਏ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਥਦੀਪ ਸਿੰਘ ਛੀਨਾ ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 98158-21532, ਬਲਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 98153-05023, ਹਰਮਨ ਸ਼ੇਰ ਸਿੰਘ ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 9988604937 ਅਤੇ ਨਵਨੀਤ ਸ਼ਰਮਾਂ ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 98882-94087 ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਪਰੋਕਤ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਆਪਣਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਲਈ ਰਿਸੋਰਸ ਪਰਸਨ ਨਾਲ ਵੀ ਰਾਬਤਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹਰ ਬੁੱਧਵਾਰ ਇੱਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰਿਸੋਰਸ ਪਰਸਨ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਤੇ ਕਾਰੋਬਾਰ ਬਿਊਰੋ, ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਵਿਖੇ ਵੀ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਗਾਈਡ ਕਰਨ ਲਈ ਹਾਜ਼ਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।


फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो सरकार देती है भारी सब्सिडी, गुरदासपुर के डीसी से लें पूरी जानकारी


फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर मिलेगी 35 प्रतिशत सब्सिडी : उपायुक्त


पी.एम. फर्मजेन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना के तहत एक करोड़ रुपये तक की खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं


गुरदासपुर, - भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने राज्य सरकार के साथ साझेदारी में राष्ट्रीय स्तर पर पीएमआई फर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना शुरू की है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हुए एक करोड़ रुपये तक की खाद्य प्रसंस्करण परियोजना शुरू कर सकता है।


इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर डाॅ. हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि इस योजना को लागू करने के लिए पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन को राज्य नोडल एजेंसी बनाया गया है, जबकि जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जिले के नोडल अधिकारी होंगे. उपायुक्त डाॅ. हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत एक करोड़ रुपये तक की खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाएं स्थापित की जा सकती हैं, जहां कम से कम 10 लोगों को रोजगार मिले। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें 35 फीसदी की पूंजीगत सब्सिडी भी मिलती है जो अधिकतम 10 लाख रुपये है.


उपायुक्त डाॅ. हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि जो आवेदक योजना का लाभ लेना चाहता है उसे परियोजना मूल्य का कम से कम 10 प्रतिशत जमा करना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना के तहत पुरानी खाद्य प्रसंस्करण इकाई को जोड़ने के साथ-साथ नई इकाई की स्थापना भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि उक्त योजना के तहत बैंकों से पक्का ऋण लेने वाली इकाइयां ही सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने जिले के बेरोजगार युवाओं से अपील की है कि वे इस योजना का लाभ उठाकर अपना खुद का व्यवसाय शुरू करें ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें।


जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक मो. सुखपाल सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत ऋण लेने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के पोर्टल www.pmfme.mofpi.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि योजना के तहत फॉर्म भरने के लिए जिला रिसोर्स पर्सन भी नियुक्त किए गए हैं, जिनमें पंथदीप सिंह छीना मोबाइल नंबर 98158-21532, बलजिंदर सिंह मोबाइल नंबर 98153-05023, हरमन शेर सिंह मोबाइल नंबर 9988604937 और नवनीत शरमन मोबाइल नंबर 98882 शामिल हैं। 94087 शामिल हैं उन्होंने कहा कि उक्त योजना के तहत अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए रिसोर्स पर्सन से भी संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा, हर बुधवार को एक जिला रिसोर्स पर्सन भी युवाओं का मार्गदर्शन करने के लिए जिला रोजगार और व्यवसाय ब्यूरो, गुरदासपुर में मौजूद रहता है।

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